Home शिक्षा इतिहास ‘इतिहास के झरोखे से { एक विसंगति हुई थी पहले भी, देखें –राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रूम्प के आने पर क्या घटा ?

‘इतिहास के झरोखे से { एक विसंगति हुई थी पहले भी, देखें –राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रूम्प के आने पर क्या घटा ?

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आज  डोनाल्ड  ट्रंप  के  भारत  यात्रा  के  दौरान  झुग्गी  बस्ती  को  दीवाल  से  ढंकने  पर 
जो  कांग्रेसी  विरोध  कर  रहे  हैं ।  उन  कांग्रेसियों  को  नेहरू  जी  का  कुकर्म  याद  दिला  दें…
बात  1955  की  है  ।  सउदी  अरब  के  बादशाह  ” शाह  सऊद  सलमान  ”  प्रधानमंत्री  जवाहर  लाल  नेहरू  के  निमंत्रण  पर  भारत          आये  थे ।  वो  4  दिसम्बर  1955   को  दिल्ली  पहुँचे ,  जहाँ  उनका  पूरे  शाही  अन्दाज़  में  स्वागत  किया  गया ।  शाह  सऊद  दिल्ली           के  बाद  वाराणसी  भी  गए ।  क्योंकि  सऊदी  अरब  एक  कट्टर  मुस्लिम  देश  है ,  इसलिए  नेहरू  को  लगा  कि  यदि  सऊदी   किंग           सऊद  बिन  सलमान  के  सामने  भारत  के  मंदिर  और  भारत  के  मंदिरों  की  मूर्तियां  दिखेंगी  तब  उन्हें  बुरा  लगेगा ,   क्योंकि        इस्लाम  में  बुतपरस्ती  हराम  मानी  जाती  है  ।  फिर  नेहरू  ने  बनारस  के  उन  सभी  मंदिरों  को  परदे  से  ढंक  देने  का   आदेश          दिया  था ,  जो  सऊदी  किंग  के  काफिले  में  आती  थीं ।
सरकार  ने  दिल्ली  से  वाराणसी  जाने  के  लिए ,  ” शाह  सऊद ”  के  लिए  एक  विशष  ट्रेन  में  विशेष  कोच  की  व्यवस्था  की  ।  शाह सऊद ,  जितने  दिन  वाराणसी  में  रहे ,  उतने  दिनों  तक  बनारस  के  सभी  सरकारी  इमारतों  पर  ” कलमा  तैय्यबा ”  लिखे   हुए  झंडे लगाए  गए  थे ।  वाराणसी  में  जिन  जिन  रास्तों  से  “शाह   सऊद”  को  गुजरना  था ,  उन  सभी  रास्तों  में  पड़ने  वाली  मंदिर   और मूर्तियों  को  परदे  से  ढंक  दिया  गया  था ।  इस्लाम  की  तारीफ़  और  हिन्दुओं  का  मजाक  बनाते  हुए  शायर  ” नज़ीर  बनारसी ”  ने    एक  शेर  कहा  था:
अदना  सा  ग़ुलाम  उनका , गुज़रा  था  बनारस  से ॥
मुँह  अपना  छुपाते  थे ,  काशी  के  सनम – खाने ॥
अब  खुद  सोचिये  कि  क्या  आज  मोदी  और  योगी  के  राज  में  किसी  भी  बड़े  से  बड़े  तुर्रम  खान  के  लिए  ऐसा  किया  जा  सकता  है । आज  ऐसा  करना  तो  दूर ,  कोई  करने  की  सोच  भी  नहीं  सकता ।  हिन्दुओं  जबाब  दो ,  तुम्हे  और  कैसे  अच्छे  दिन  देखने  की  तमन्ना  थी ।
आज  भी  बड़े  बड़े  ताकतवर  देशों  के  प्रमुख  भारत  आते  हैं  और  उनको  वाराणसी  भी  लाया  जाता  है , लेकिन  अब  मंदिरों  या   मूर्तियों को  छुपाया  नहीं  जाता  है  बल्कि  उन  विदेशियों  को  गंगा  जी  की  आरती  दिखाई  जाती  है  और  उनसे  पूजा  कराई  जाती  है ।
और  इस  फ़ोटो  को  ध्यान  से  देखिए ,  इसमें  गोल  घेरे  में  तत्कालीन  उपराष्ट्रपति  ( जो  कि  संवैधानिक  रूप  से  प्रधानमंत्री  से  उच्च होता  है )  डॉ. राधाकृष्णन  जी  दिखाई  दे  रहे  हैं  ,  फ़ोटो  फ्रेम  में  आने  के  लिए  नेहरू  और  इंदिरा  गांधी  ने  उन्हें  पीछे  धकेल  रखा  है , आखिर  बेटी  को  प्रमोट  भी  तो  करना  था ..संवैधानिक  मर्यादा  गई  भाड़  में. . !!
जय   श्री   राम…..
चित्र में ये शामिल हो सकता है: 5 लोग, मुस्कुराते लोग, लोग खड़े हैं
 
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