‘बुलन्दियों को छू लिया तूने ‘ , मगर ‘ इंसानियत को त्याग कर ‘,
‘क्या किया तूने’ ‘सिर्फ गर्त में जाने का रास्ता चुन लिया ‘ ,
‘ इंसानियत का पंख लगा कर ‘ ‘अगर तू मंजिल पर जा चढा’ ,
‘तुझे गर्त में मिलाने से पहले’ , ‘खुदा भी’ ‘अनेकों बार सोचेगा ‘ |
‘बुलन्दियों को छू लिया तूने ‘ , मगर ‘ इंसानियत को त्याग कर ‘,
‘क्या किया तूने’ ‘सिर्फ गर्त में जाने का रास्ता चुन लिया ‘ ,
‘ इंसानियत का पंख लगा कर ‘ ‘अगर तू मंजिल पर जा चढा’ ,
‘तुझे गर्त में मिलाने से पहले’ , ‘खुदा भी’ ‘अनेकों बार सोचेगा ‘ |
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