Home ज़रा सोचो ‘आशीर्वाद’ और ‘भरोसा’-‘गुलाब सी खुशबू’ फैलाते हैं , ‘हानिकारक’ कुछ भी नहीं |

‘आशीर्वाद’ और ‘भरोसा’-‘गुलाब सी खुशबू’ फैलाते हैं , ‘हानिकारक’ कुछ भी नहीं |

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जरा सोचो
यदि ‘तुम्हें’ ना ‘अपनों’ की ‘कद्र’ ना ‘दौलत’ की,’अधोगति’  ही  पाओगे,
जिसने  दोनों ‘गवां’ दिये, उसे  कभी ‘संयत  जीवन’ जीना  नहीं  आया !

[2]

जरा सोचो
‘गुस्सा’- ‘मस्तिष्क’  पर  भारी  होगा  तो  ‘फैसले’ गलत  ही  होंगे,
‘शांत  स्वभाव’ की ‘शीतल  छत्रछाया’- सही ‘राह’ पर  ले  जाएगी !

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जरा सोचो
न  ‘ आशीर्वाद ‘  दिखता  है  न  ‘ भरोसा ‘  ‘ तालमेल ‘  गजब  का  है,
दोनों ‘गुलाब  सी खुशबू’ फैलाते  हैं, ‘हानिकारक’ होते  कभी  देखा  नहीं !

[4]

जरा सोचो
हर  प्राणी ‘ समस्या ग्रस्त ‘  है ,  हर  ‘ समस्या ‘  का  निदान  भी  है,
‘मंजिल’ पाने  का ‘प्रयास’ तो  कर,’थक’ गया  तो  समझो ‘मर’ गया !

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जरा सोचो
‘ कुकर्म ‘  करते  रहे  तो  ‘ दगा  ही  दगा ‘  है  चारों  तरफ ,  ‘ ये ‘  सगे  नहीं  होते,
‘सत्कर्म’ और ‘पुण्य’  की ‘दौलत’ लुटाता  चल, ‘शांति  मार्ग’ प्रशस्त  होता  जाएगा !

[6]

जरा सोचो
‘नाराजगी’  में ‘उत्तर’, ‘उलझनों’ में ‘निर्णय’, ‘दर्द’ परोस  देते  हैं,
‘शांत – चित्त’  से  जो  भी  करोगे,  ‘फलीभूत’  होता  जाएगा !

[7]

जरा सोचो
इतने  ‘अच्छे’  बनो  ताकि  हर  कोई  ‘संपर्क’  में  आना  चाहे,
‘दुनिया  के  लफड़े’ ओढ़  कर  ‘यूं’  ही  जिए,  तो  ‘क्या’  जिए ?

[8]

जरा सोचो
अगर  तुम्हारे ‘कमों’ पर ‘रोकने- टोकने’ वाला  घर में ‘बडा ‘न  हो,
‘घर’  कभी  ‘संभल’  नहीं  पाता, ‘शांति  की  बंसी’  नहीं  बजती !

 

 

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