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“आरक्षण” “शब्द” “होशियार” और “मेहनती” “आदमियों” को “हताश” करता है ,
आज के “सभ्य समाज” के लिए , ऐसी ” मांग” ” नाजायज” है, “नाइंसाफी ” है ,
” हर व्यक्ति ” को “समांतर” ‘सुविधाएं” , ” प्रशासन ” की और से “उपलब्ध ” हैं ,
“आरक्षण” से “नहीं”-“साक्षारता” से “उन्नति ” की और “बढ़े”,”ऊँचे आधार”बने |
{2}
” आरक्षण ” ” छोड़ो ” , ” अच्छी शिक्षा ” प्राप्त करो , ” कुछ करके ” दिखाओ ,
” हमें ” ” भीख ” नहीं चाहिए ,” कुछ करके दिखाने ” का ” मौका ” चाहिए ,
“देश” के “सामने” -“अनेकों समस्याओं” से “निबटने” का “अभियान” सामने है ,
“थोड़ा-थोड़ा” “सभी मिलकर” इस “अभियान”को “पंख” लगाओ, “आगे”बढ़ाओ |