‘लूटपाट’ , ‘आगजनी’ , ने ‘सपने जलते देखे हैं ‘,
‘वोट बैंक ने’ ‘कैसा अराजकता का तांडव कराया ‘ ,
‘आरक्षण की आग’ ने ‘सब कुछ राख कर डाला ‘ ,
‘कई परिवार’ , ‘आरक्षण की आँधी’ में ‘ तबाह हो गए ‘,
‘कैसे घर के मालिक हो’,’अपने घर मे आग लगा डाली ,
जिस डाली पर बैठा था , उसी को काट डाला है तूने’ ,
‘करना- धरना कुछ नहीं ‘,’ बस फिरी के गोलगप्पे चाहिए’ ,
‘बहुत जख्म मिल चुके’,’आरक्षण को ”अलबिदा कहो अब तो ‘ |