Home कविताएं देशभक्ति कविता ‘आरक्षण ‘ का असली रूप

‘आरक्षण ‘ का असली रूप

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‘आरक्षण   की   आड़    में    दंगे’ , ‘वो’  ‘मानवता    को   भूल   चुके    हैं ‘,

‘देश  की  शांति  भंग ‘,’लूटपाट’ ,’अपना  घर  भरना’ ,’मकसद है  उनका,’

‘ जाट   आरक्षण  आंदोलन  में ‘, ‘चारों   तरफ   तांडव’  ‘दिखाई   देता   था’ ,

‘किसने   उकसाया’ , ‘ किसने  सहलाया ‘,  ‘कोई   तो   बताए    देश   को ‘ |

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