Home कविताएं “आनंद से जीवन जीयेँ , समझदारी से जीयेँ “

“आनंद से जीवन जीयेँ , समझदारी से जीयेँ “

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[1]

‘अपना किरदार शानदार तरीके से निभाओ ,ताकि याद रहे ,’
‘दिल  से  निकली  दुआओं  से  तेरा  नाम  अमर  हो  जाए ‘|

[2]

‘सभी  का  मरना  निश्चित  है ,’दिलों  में  रहना  फिर  भी  नहीं  सीखा ,’
‘सत्कर्मों  की  बौछार  क्यों  नहीं करता ,’सदभागी’  क्यों  नहीं बनता ‘ ?

[3]

‘जिन्हें  सब कुछ  मिला  उन्हें  भी  जिंदगी  से  शिकायत  है ,’
‘अधूरापन  उनको  भी  सताता  है ,’कोई  क्या  करे  उनका ‘?

[4]

‘दौलत  चाहे  जितनी  कमा  लें’ ,’कदर  पाओगे  गुणवान  होने  पर ,’
‘बेसुरे  गीत  गाता  नहीं  कोई’ ,’स्म्रति  के  गर्भ  में  खो  जाते  हैं ‘|

[5]

‘दौलत  मिलने  से  गरीबी  नहीं  घटती ,इसकी  इच्छा  घटाने  से  घटती  है’,
‘राजा- महाराजाओं  को  भी  पैगंबर  के  दरबार  में  भीख  मांगते  देखा  है’ |

[6]

‘दिल  की  अदालत  में  कभी  नहीं  जाते’ ,’उसकी  सुनते  ही  नहीं ,’
“यह सही फैसलों  की  अदालत है’ ,’झूठों  का जगह  नहीं  मिलती “|

[7]

सही  है – नदी  के  दो  किनारों  को ”कभी  मिलते  नहीं  देखा ,’
‘एक  साथ  चलो’,’मिल कर  चलो’ ,’कुछ  दिनों  का  मेला  है ‘|

[8]

‘भगवान  सदा  हितकारी  हैं ‘,’दुःख  उनके  पास  होते  ही  नहीं ,’
;दुःख तो अपने  कुकर्मों  के  कारण’,’तुमने  खुद  ओढ़  रक्खे हैं ‘|

 

 

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