‘अपने जीवन के लम्हों ‘ को ‘ संवार ले , ज़रा संभल ‘ ,
‘बैर’, ईर्ष्या ‘, ‘नफरत’, और ‘हिंसा’ में ‘व्यर्थ फंसा बैठा है’ ,
‘एक-दूसरे के काम आ’,’गिरते को उठा’,’आँसू पोंछ किसी के’ ,
‘मुस्कराता चल ‘, ‘ जीवन का कल्याण ‘ हो ही जाएगा |
‘अपने जीवन के लम्हों ‘ को ‘ संवार ले , ज़रा संभल ‘ ,
‘बैर’, ईर्ष्या ‘, ‘नफरत’, और ‘हिंसा’ में ‘व्यर्थ फंसा बैठा है’ ,
‘एक-दूसरे के काम आ’,’गिरते को उठा’,’आँसू पोंछ किसी के’ ,
‘मुस्कराता चल ‘, ‘ जीवन का कल्याण ‘ हो ही जाएगा |
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