असली जीवन की कहानी लगातार संघर्षों की कहानी है !
( एक लघु कहानी )
कृपया ध्यान दें यदि आप टमाटर के बीज को चलती ट्रेन से कहीं पथरीली जमीन पर भी फैक दोगे
तो भी एक दिन वह पत्थरों को चीर कर उभर कर ऊपर आ जाएगा !
*जब ये ओर भी नन्हा सा होगा, तब शताब्दी ओर राजधानी जैसे तूफान से भी तेज दौड़ती ट्रेनों के
बिल्कुल पास से गुजरते हुए भी इसने सिर्फ बढ़ना सीखा ओर बढ़ते बढ़ते आखिर कार इसने एक
टमाटर को जन्म दे ही दिया ।*
*इस पौधे के न हाथ है, न पांव , न ही दिमाग है , ओर तो ओर इसको जीवित रहने के लिए कम से कम
मिट्टी और पानी तो मिलना चाहिए ही था , जो इसका हक भी था ।*
*लेकिन इस पौधे ने बिना जल , बिना मिट्टी के , बिना की सुविधा के अपने आपको बड़ा किया और फला फूला ,
ओर जो इस पौधे के जीवन का उद्देश्य एक ओर फल को देना था , वो उद्देश्य इसने पूरा किया ।*
*हम इंसानों के पास तो हाथ है , पांव है , दिमाग है , उसके बाद भी यदि हम जीवन मे अपने आपको कमजोर
मानकर , जीवन को सही प्रकार से , जो हमारे जीवन का उद्देश्य है , इस प्रकार से नही जीते है तो इस जीवन मे
आने का कोई औचित्य बचता ही नही है । *
*जिन लोगो को लगता है कि जीवन मे हम तो असफल हो गए , हम तो जीवन मे कुछ कर ही नही सकते ,
हम तो बस अब बरबाद हो ही चुके है , तो उन्हें इस टमाटर के पौधे से कुछ सीख लेनी चाहिए ।
असली जीवन का नाम ही लगातार संघर्षों की कहानी है ।*