Home कविताएं “अलग विधाओं पर छंद जो आनंदित करेंगे ‘

“अलग विधाओं पर छंद जो आनंदित करेंगे ‘

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[1]

‘अर्थी के साथ जा कर समझ लिया ,उसको  उसकी  मंजिल  तक  पहुंचा  दिया ,
हकीकत  थी  मर  कर  भी  अर्थी  ने ,तुम्हें  तुम्हारी  मंजिल  से  मिलवा  दिया  |

[2]

‘समय सही समय पर अपना रंग ,दिखाने में कभी नहीं चूकता’ ,
‘सुबह राम का अभिषेक होना था ‘ ,’बनवास में भिजवा दिया ‘|

[3]

‘अहम भाव का मित्रता से कोई रिस्ता नहीं,उसको बनावट की दस्तक समझ’ ,
‘कृष्ण -सुदामा   हक़ीक़त  में   दोस्त   थे  ,   दीवार   कुछ   थी   ही   नहीं ‘|

[4]

‘सभी  ईश्वर  को  मानते  हैं’ ‘ चाहते  संसार  को  हैं’ ,
”कथा करते हैं सुनते हैं’ ,’ज्ञान  की  बात  करते  है’ ,
‘दौलत की महिमा देख कर सब  कुछ भूल जाते हैं’ ,
‘अन्तःकरण में महत्व”दौलत का है,ईश्वर का नहीं ‘|

[5]

मैं – मैं  नहीं  , तू- तू  नहीं’ ,’ बंदे  फिर  क्यों   इतराता  है ,?
‘भलाई की कमाई काम आएगी ‘,’बाकी यहीं रह जाएगा प्यारे ‘|

[6]

भलाई का जमाना लद  गया  फिर भी’ ,’भलाई  का  दामन  पकड़ ‘,
‘कृपा-भाव मन में उपज गया तो’ ,’प्रभू का कृपा-पात्र बन जाएगा ‘|

[7]

‘ जब  भी  तुम  दूसरों  के  लिए  प्रार्थना  करने  लग  जाओगे ‘,
‘वो’ बडा दयालु है अपनी रहमतों से मालामाल कर देगा तुझे ‘|

[8]

‘ यदि  तू  परमात्मा से जुड़ा तो बसंत  ही बसन्त  है ‘,
‘अन्यथा तो अन्त है ,बसंत का तो अन्त ही समझो ‘|

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