‘अर्थी के साथ जा कर समझ लिया ,उसको उसकी मंजिल तक पहुंचा दिया ,
हकीकत थी मर कर भी अर्थी ने ,तुम्हें तुम्हारी मंजिल से मिलवा दिया |
[2]
‘समय सही समय पर अपना रंग ,दिखाने में कभी नहीं चूकता’ ,
‘सुबह राम का अभिषेक होना था ‘ ,’बनवास में भिजवा दिया ‘|
[3]
‘अहम भाव का मित्रता से कोई रिस्ता नहीं,उसको बनावट की दस्तक समझ’ ,
‘कृष्ण -सुदामा हक़ीक़त में दोस्त थे , दीवार कुछ थी ही नहीं ‘|
[4]
‘सभी ईश्वर को मानते हैं’ ‘ चाहते संसार को हैं’ ,
”कथा करते हैं सुनते हैं’ ,’ज्ञान की बात करते है’ ,
‘दौलत की महिमा देख कर सब कुछ भूल जाते हैं’ ,
‘अन्तःकरण में महत्व”दौलत का है,ईश्वर का नहीं ‘|
[5]
मैं – मैं नहीं , तू- तू नहीं’ ,’ बंदे फिर क्यों इतराता है ,?
‘भलाई की कमाई काम आएगी ‘,’बाकी यहीं रह जाएगा प्यारे ‘|
[6]
भलाई का जमाना लद गया फिर भी’ ,’भलाई का दामन पकड़ ‘,
‘कृपा-भाव मन में उपज गया तो’ ,’प्रभू का कृपा-पात्र बन जाएगा ‘|
[7]
‘ जब भी तुम दूसरों के लिए प्रार्थना करने लग जाओगे ‘,
‘वो’ बडा दयालु है अपनी रहमतों से मालामाल कर देगा तुझे ‘|
[8]
‘ यदि तू परमात्मा से जुड़ा तो बसंत ही बसन्त है ‘,
‘अन्यथा तो अन्त है ,बसंत का तो अन्त ही समझो ‘|