‘बचपन से ही हमारे दिलो- दिमाग मे ‘,” सही क्या है गलत क्या है’ ?
‘यह भावना ‘ ‘ समाज द्वारा अपराध रूप मे’ ‘ बैठा दी जा ती है’ ,
‘किसी कार्य को करने की कल्पना ‘ , ‘फिर परिणाम उचित न मिलना’ ,
‘अपेक्षाओं पर पूरा न उतरना ‘, ‘अपराध भाव मे ले जाता है हमें ‘