Home कविताएं ‘अपना दृष्टिकोण सही करें तो आनंद ही आनंद है ‘!

‘अपना दृष्टिकोण सही करें तो आनंद ही आनंद है ‘!

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[1]

‘अनेकों व्याधियाँ  तुम्हारे  पास  थी’ ,
‘तुम  मुस्कराते  हुए  ही  मिले  फिर  भी ‘,
‘तेरी  अनमोल  ताकत  का  अहसास’,
‘मुझे  दिल  से  निहाल  कर  गया ‘|

[2]

‘हर  काम  में  आलस’ और  ‘हर  बात  में  लालच ‘ हमें  ओछा  बनाता  है ‘,
‘बिगड़ी बात बनाने की हिम्मत दिखाई तो”इंसानियत जाग गयी समझो ‘|
[3]
‘शिष्टाचार’से  इंसान  के गु णों,शिक्षा,रुचि  और  सभ्यता  का  पता  चलता  है’,
‘ आपकी  मस्ती  भरी  मुस्कान ‘ व ‘  प्रेम  का  आचरण ‘  अनुकरणीय  है ‘|
[4]
‘विद्या-ग्रहण, सत्य-ग्रहण  व असत्य का परित्याग’ ‘शिष्टाचार  है ‘,
‘जिसमें  ईर्ष्या , अभिमान , लालच  और  क्रोध  नहीं ‘ ‘वही  शिष्ट  है ‘|
[5]
‘जीवन  सादा  रहेगा  तो  तनाव  भी  आधा  रहेगा ‘,
‘गुलछर्रे उडाता रहा  तो लहूलुहान हो कर  ही रहेगा ‘|
[6]
‘जब  भी  कुछ  गलत  घटता  है’,
‘और  सही  आदमी  चुप  रहता  है ‘,
‘गलत  को  सही  साबित  करने  का’ ,
‘उसे  आधा  मिल  गया  समझो ‘|
[7]
‘जो  सब  कुछ  खो  कर  भी  मुस्कराता  है’ ,
‘उसको  नमन ‘,
‘कुछ  पा  कर  तो  सभी  मुस्कराते  हैं ‘,
‘कोई  खास  बात  नहीं  है ‘|
[8]
‘ज्यादा  समझदार  हो’, थोड़ी  परेशानी  में  देख  मुझसे  कतरा  गए ‘,
‘सामान्य मित्र  भी तुमसे  अच्छे  हैं ‘,’अफसोस  तो  जाहिर  करते  हैं ‘|
[9 ]
‘इंसान  कभी  गलत  नहीं  होता ‘,
‘उसका  दृष्टिकोण  अलग  होता  है ‘,
‘किसी  बात  से  विभिन्न  देखते  ही  हम’ ,
‘गलत  दृष्टिकोण  बना  लेते  हैं ‘|
[10]
‘शांति  चाहते  हो  तो प हले  अपनी  ‘इच्छाओं’को  शान्त  करो ‘,
‘कर्मभूमि  के  कर्णधार  बनो ‘,’भावनाओं से वशीभूत  मत  रहो ‘|
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