Home Uncategorized ‘अपना किरदार ऐसा निभाओ , गदगद हो जाएँ सभी प्राणी ” |

‘अपना किरदार ऐसा निभाओ , गदगद हो जाएँ सभी प्राणी ” |

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[1] 

‘ऐसी  कोई  भी  वस्तु  नहीं  जो  पूर्णतया  स्वतंत्र  हो ,
‘एक कामना  पूरी करते, अनेकों  सामने खड़ी  हो जाती  हैं,
‘हमारा  दुर्भाग्य  है  कि  हम  सीमित  हो  कर  रह   गए  हैं,
‘बहती गंगा  की तरह, ‘भौतिक  इच्छाओं’ में  बहे जा  रहे  हैं  हम’ !
[2]
मेरी  सोच  |
जो   दूसरों   से   प्यार   करता   है   दरअसल   वह   खुद   से   प्यार   करना   सरीखा   है   !
 
[3]
 
‘अपने अधिकार’ से ज्यादा ‘जिम्मेदारियों’ पर ध्यान दीजिए सदा,
‘ इसमें  ‘कामयाब’  रहे  तो ‘ अधिकार ‘  स्वयं  ही  मिल  जाएंगे’ !
 
[4]
‘अपना  किरदार’ बारीकी  से  निभाओ, ताकि  दिलों  में  जा  बसें,
‘नकारात्मक  पहलू’  उभर  गया  तो, ‘बंटाधार  हो  गया  समझो’ !
 
[5]
‘आफताब’  सा  ‘चमकता  चेहरा’ रोशन  किए  रखता  है  हमें,
‘कोई  किसी से  कुछ नहीं  कहता,’खुद अनुमान लगा  लेते  हैं’ !
 
[6]
 
‘मुस्कुराने’ का  मतलब, जिसने  भी  समझ  लिया,
‘ उसको  ‘ जीने  का  सबब ‘  आ  गया  मानो,
‘रोते ‘  वो  हैं  जिनके ‘नसीब’  बहुत  खोटे  हैं,
‘यूं  लगता  है ‘खुदा’  भी  रूठ  गया  हो  उनसे !
 
[7]
 
‘जरूरी नहीं ‘रिश्तो’ को तभी ‘संभाला’ जाए, जब ‘अंतिम मोड़’ पर  हों,
‘रिश्तों’  को   हम  समझ  नहीं पाते,  ‘जब  ‘ दूरियां ‘  बढ़रही  होती  हैं ‘!
 
[8]
‘दिन-रात  आईने  में ‘अपना  चेहरा’ निहारते  नहीं  थकते,
‘ तुम  कितने  पानी  में  हो ?’आज  तक  हम  नहीं  समझे’ !
 
[9]

 

‘संसार  में  आप  खुद  ऐसे  व्यक्ति  हो  जो  अपनी  ‘तरक्की’ रोक  सकते  हो,
‘और  आप  ही  अकेले  व्यक्तिं  हो  जो  ‘जिंदगी में  क्रांति’ भी  ला सकते  हो,
‘जिंदगी ‘  तब  नहीं  बदलती  जब  बॉस , दोस्त ,  या  पार्टनर , बदलते  हैं,
‘जिंदगी’ तब बदलतीं  है  जब  आप ‘खुद बदलते  हो’, आप  ही ,’सूत्रधार’ हो’ !
[10]
‘जीवन  की  डगर’ पर  चलते ‘दुर्दिन’  कभी  भी  किसी  के  आ  सकते  हैं,
‘हिम्मत रखना, और ‘श्रम’  करने में ‘शर्म’ महसूस  न  करना,’बड़ी  बात  है’ !
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