Home कोट्स Motivational Quotes ‘अधूरा सत्य’-‘सफ़ेद झूठ’ से भी ज्यादा ‘खतरनाक’ है |’रिस्ते’ और ‘विश्वास’जाग्रत बनाए रक्खो |

‘अधूरा सत्य’-‘सफ़ेद झूठ’ से भी ज्यादा ‘खतरनाक’ है |’रिस्ते’ और ‘विश्वास’जाग्रत बनाए रक्खो |

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[1]

जरा सोचो
प्रभु ! ‘कृपा’ कर  दो,  मैं  सदा  कुछ  ‘देने  योग्य’  बना  रहा  हूं,
‘हाथ’  फैलाकर  जीता  रहा  तो, ‘तड़प-  तड़प’ कर  मर  जाऊंगा !

[2]

जरा सोचो
‘अधूरा  सत्य’ ‘सफेद  झूठ’  से  भी  ज्यादा ‘ खतरनाक ‘  है,
‘मूंह’ तभी खोलें जब  ‘तथ्यों’  की ‘वास्तविकता’ उजागर  हो !

[3]

जरा सोचो
जब ‘भूल’ जाते  थे, ‘धमकाया’  गया,  ‘याद’  रखना  सीखिए ,
अब  सब  कुछ  ‘याद’  रहता  है, कहते  हैं ‘भूलना’  भी  सीखो !

[4]

जरा सोचो
जो  ‘चेहरा’  देखकर  ‘पहचान’  करते  हैं,  ‘सीपी’  तालाब  में  डूब  रहे  हैं,
‘इंसान’  की  वाणी , सुविचार , और  कुकर्म ,  उसका  ‘परिचय’  कराते  हैं !

[5]

जरा सोचो
‘रिश्ता’  बनाए  रखो  या  नहीं ,  ‘विश्वास’  जरूर  बनाए  रखो,
‘विश्वास’ जागृत रहा तो, एक दिन ‘रिश्ता’ भी ‘जीवित’ हो जाएगा !

[6]

जरा सोचो
‘झींझ -मजीरे’  बजाने  से  ‘प्रभु’  कभी  मिलते  नहीं,
‘बिना पुकारे’ जो  सुन  ले, वही  ‘परमात्मा स्वरुप’  है !

[7]

जरा सोचो
‘शांत  रहना ,  समझौते  की  आदत ,  दिलदारी’ ,  ‘शानदार  निवेश’  हैं,
‘रिश्ते’  बचे  रह  जाएंगे , ‘बगावत  के  तेवर’ दिखाना अच्छा  नहीं   होता !

[8]

जरा सोचो
थोड़ी  ‘खुशियों’  के  लिए, न  जाने  क्या- क्या  ‘इकट्ठा’ करने  लगे ?
सुना था- ‘सांसारिक  चीजें’ त्याग करने  से, ‘खुशियां’ नसीब होती  है !

[9]

धरती माता का दर्द
मैं  अनगिनत  पर्वतों , जीवों  के  भार  से  आहत  नहीं ,
वृक्षों , पौधों  और  जीव जंतुऔं  के  भार  से  पीड़ित  नहीं,
नदियों , झीलों  और  समुद्र  की  गहराई  से  चिंतित नहीं,
मैं  तो  छल ,  विश्वासघात  और  देशद्रोह  से  आहत   हूँ  !
[10]
जरा सोचो
जब  भी ‘दो  मर्द’ लड़ते  हैं, मां- बहन’ की  ‘गाली’  परोस  देते  हैं,
देश  में ‘औरत  का रुतबा’ कैसे  बुलंद  होगा ? क्या  कभी  सोचा ?
[11]
जरा सोचो
‘जिम्मेदारी’ के  बोझ   तले ‘मन’  को  दबाना, कदापि ‘उचित’  नहीं,
कभी-कभी ‘बच्चा’ बनकर ‘सहना’, फिर ‘मान जाना’ भी जरूरी  है !
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