[1]
जरा सोचो
‘आर्थिक कमजोर ‘ जरूर हूं पर ‘ दोस्त रूपी संपत्ति ‘ का भंडार हूँ ,
‘सरकार ने ‘दोस्त टैक्स’ ठोक दिया तो भी, ‘प्यार’ से उसे भी ‘झेल ‘ जाऊंगा’ !
[2]
जरा सोचो
‘ मस्तिष्क’ चिंताओं का घर है, ‘झुककर प्रणाम, चिंता युक्त करता है,
‘गुरु , प्रभु या बुजुर्ग ‘ को ‘झुककर प्रणाम’ चिंताओं को घटाता है’ !
[3]
जरा सोचो
‘हम कहते रहते हैं , बेटियों का कोई घर नहीं होता,
‘अनाड़ी हो, यह कहो बिना बेटी ‘घर’ घर नहीं होता,
‘बेटी – घर की ‘ शान बान आन’ का असली सितारा है,
‘खुशियों की सौगात है, महकता गुलाब है, घर का चिराग है !
[4]
जरा सोचो
‘अपनों का काटा’ पानी नहीं मांगता, ‘सड़ने’ की संभावना है,
‘ गैर तो गैर’ ही हैं जनाब, ‘उनकी ‘बेरुखी’ का क्या ‘शिकवा’ ?
‘अपनों का काटा’ पानी नहीं मांगता, ‘सड़ने’ की संभावना है,
‘ गैर तो गैर’ ही हैं जनाब, ‘उनकी ‘बेरुखी’ का क्या ‘शिकवा’ ?
[5]
जरा सोचो
‘भेजे में घुसा ‘शैतान’ किसी ‘कब्रिस्तान’ से कम नहीं,
‘गीता, कुरान या बाइबल’ नहीं कहती, किसी का ‘बुरा’ करो’ !
‘भेजे में घुसा ‘शैतान’ किसी ‘कब्रिस्तान’ से कम नहीं,
‘गीता, कुरान या बाइबल’ नहीं कहती, किसी का ‘बुरा’ करो’ !
[6]
जरा सोचो
‘जानबूझ कर ‘गद्दारी, नाइंसाफी , ‘इंसानियत’ नहीं होती’,
‘ खुदा के दरबार’ में हर फितरत का ‘वाजिब’ हिसाब होता है’ !
‘जानबूझ कर ‘गद्दारी, नाइंसाफी , ‘इंसानियत’ नहीं होती’,
‘ खुदा के दरबार’ में हर फितरत का ‘वाजिब’ हिसाब होता है’ !
[7]
जरा सोचो
‘हम सदा बड़े ‘अदब’ और ‘सलीके’ से जीते रहे,
‘सब्र’ का लिहाज करते रहना, हमारी ‘कमजोरी’ रही’ !
‘हम सदा बड़े ‘अदब’ और ‘सलीके’ से जीते रहे,
‘सब्र’ का लिहाज करते रहना, हमारी ‘कमजोरी’ रही’ !
[8]
जरा सोचो
‘ सच’ कड़वा होता है फिर भी, ‘बोलते’ गए, सभी ‘नाराज’ हुए,
‘ सच’ कड़वा होता है फिर भी, ‘बोलते’ गए, सभी ‘नाराज’ हुए,
‘गजब’ तो तब हुआ ‘बुढ़ापे तक’ ‘मीठा झूठ’ बोलना नहीं आया’ !
[9]
जरा सोचो
‘जरूरत’ के अनुसार बनाए ‘रिश्ते’ एक दिन ‘चकनाचूर’ हो जाएंगे,
‘ दिल से जुड़े’ रिश्तो की ‘अहमियत का एहसास’ जगाए रखना जरूरी है’ !
‘जरूरत’ के अनुसार बनाए ‘रिश्ते’ एक दिन ‘चकनाचूर’ हो जाएंगे,
‘ दिल से जुड़े’ रिश्तो की ‘अहमियत का एहसास’ जगाए रखना जरूरी है’ !
[10]
जरा सोचो
‘ ख्वाहिश’ थी उन्हें नजदीक से ‘निहारें,’ मौके भी ‘मयस्सर’ हुए,
‘ सामने आते ही ‘शर्मो-लिहाज’ का ‘पर्दा’ नजरों पर ‘गिरता’ रहा’ !
‘ ख्वाहिश’ थी उन्हें नजदीक से ‘निहारें,’ मौके भी ‘मयस्सर’ हुए,
‘ सामने आते ही ‘शर्मो-लिहाज’ का ‘पर्दा’ नजरों पर ‘गिरता’ रहा’ !