[1]
‘गलत संगत’ का चयन’,
‘जीवन को प्रभावित करे या न करे’,
‘सही संगत की उपेक्षा’ एक दिन’,
‘पछताने को मजबूर करती है ‘|
[2]
‘ऐसे मित्र’ का ‘साथ’ ‘ कभी मत करो’,जो ‘मुसीबत मे’ ‘अकेला’ छोड़ जाए ,
‘ऐसे मित्र’-‘स्वार्थी’,’चालाक’,’धोखेबाज़’,और ‘बातों मे”बेहद चतुर’ होते हैं |
[3]
‘जब भी सही कार्य करना चाहा’ ,
‘उंगली उठाते चले गए ‘,
‘न खुद कुछ ढंग से जिये ‘ ,
‘न जीने दिया हमको ‘|
[4]
‘मानव अधिक समय बैर , ईर्ष्या, जलन की भावना में बिताते हैं ‘,
‘कडुआ बोलने में, बेतुकी बातों में, ओरों को तौलने में लगाते हैं ‘,
‘खुद को संवारते , संभालते ही नहीं , मीठा बोलने से कतराते हैं ‘,
‘अरे इंसान ! अपने जीवन का मूल्यांकन कर,सुकर्मों में रुचि बढ़ा ‘|
[5]
‘हमारी खुशी का राज दूसरों की खुशी में छिपा रहता है ‘,
‘जब सबको खुशी देना शुरू कर दोगे ,’निहाल हो जाओगे ‘|
[6]
‘मस्तिष्क दूरअंदाज़ होता है , जैसा हम सोचेंगे वैसे ही बन जाएंगे ‘,
‘सदा उन्नत विचार’और ‘सकारात्मक सोच’ बनाए रखनी चाहिए ‘|
[7]
‘सताने की फितरत हो जिनकी’ ,
‘लाख मनाओ ,सुनते ही नहीं ‘,
‘वो बार-बार याद आते रहे’ ,
‘हमारी कोशिश थी भूल जाने की ‘|