Home ज़रा सोचो ‘अच्छाई और बुराई’ दोनों का संगम है जीवन “, जो समझ गया वो ‘जी’ गया ” |

‘अच्छाई और बुराई’ दोनों का संगम है जीवन “, जो समझ गया वो ‘जी’ गया ” |

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[1]

‘हम  ‘गलतियां’  खूब  करते  हैं, फिर  ‘गिला-शिकवा’  किसलिए ?
‘कुछ  भला  सोचो, कुछ  भला  करो, ‘ठहाके’  मार  कर  जियो’ !

[2]

‘ तमन्नायें ‘  कम  नहीं  होती , ‘ समस्याएं ‘ हल  नहीं  होती,
‘जब ‘झुकने” को तैयार नहीं, ‘टूटना’ निश्चित समझ अपना’ !

[3]

‘कन्या’  जन्मी  है  तो  ‘मंगल’  मना,
‘लक्ष्मी’  का  ‘सम्मान’  कर,
‘मुंह  फुलाए  बैठे  हो,
‘ क्या  किसी  ने ‘भैंस’  खोल  ली  तेरी ‘?

[4]

‘पिता’  वो  वट  वृक्ष  है  जिसकी  छाया  तले ,’ पूरा  परिवार  सोता  है,
‘हर  बड़ी  मुसीबत  में  ‘मां’  नहीं, सबको ‘पिता’  ही  ‘याद’  आता  है’ !

[5]

‘जिन्होंने’  ना  कभी ‘गीता’  पढ़ी,
‘ ना  कभी  ‘कुरान’  पढ़ी ,
‘वही  ‘फसाद  की  जड़’  है,
‘ पढ़ी’  होती  तो ‘फसाद’  नहीं  होते’ !

[6]

‘सबसे  गुजारिश  है, अपने  परिवार  से  प्यार  करें , उनके  साथ  वक्त  बिताएं,
‘इस  ‘बेशकीमती  खजाने’ को  “बर्बाद’  न  होने  दें, ‘ खुद  की  कीमत  जानें ” !

[7]

‘जो  रोज  कहते  थे ‘मैं  तुम्हारा  हूं  पागल, ‘उदास’  मत  होना,
‘कोरोना’ उसे  भी  ग्रस  गया, ‘अब  बता  किसका  विश्वास  करें” ?
(संभल जाओ देशवासियों )

[8]

‘न तूने कभी ‘कैद किया,’ ना कभी हम ‘फरार’ हुए,
‘ प्यार  की  सीमा  में  बंधे ,  ‘ जीवन  बिता  दिया ‘ !

[9]

‘गुस्सा , अहं , लालच , घृणा, ‘ हम  सबमें  ही  समाया  है,
‘भला ‘दुश्मनों’ की क्या जरूरत है ?’हमी ‘बादशाह’ हैं इनके’ !

[10]

‘फज़ूले  आदमी’ अफवाहें  फैलाते  हैं,
‘बेवकूफ’  स्वीकारते  हैं,
‘समझदार’  कोई ‘प्रतिक्रिया’  नहीं  देते,
‘आगे  बढ़ते  जाते  हैं’ !

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