‘जिंदगी में तजुर्बा करते करते ‘, ‘बुढ़ापा आ गया ‘ ,
‘फेरेब का रंग नहीं चढ़ा मुझ पर’ ,’अज़ब है दास्तां ‘,
‘अकेला रहूँ या महफिल में ‘,’हर जगह मुस्कराता हूँ’ ,
‘इससे अच्छा क्या है जमाने में खुदा ‘ !’ तू ही बता ‘ ?
‘जिंदगी में तजुर्बा करते करते ‘, ‘बुढ़ापा आ गया ‘ ,
‘फेरेब का रंग नहीं चढ़ा मुझ पर’ ,’अज़ब है दास्तां ‘,
‘अकेला रहूँ या महफिल में ‘,’हर जगह मुस्कराता हूँ’ ,
‘इससे अच्छा क्या है जमाने में खुदा ‘ !’ तू ही बता ‘ ?
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